देश के इतिहास में पहली बार सेना के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को जब सितंबर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया तो सभी अखबारों की सुर्खियां जैसे चीख-चीख कर बता रही थीं—“यह हिंदू आतंकवाद है।” यह शख्स आखिर कौन था, सभी अखबारों के पहले पन्ने पर उसकी तस्वीरें क्यों छाप दी गई थीं? उसे ही निशाना क्यों बनाया गया? क्या वह सचमुच दोषी था? क्या उसे फंसाया गया था? क्या उसे बलि का बकरा बनाया गया था? विचाराधीन कैदी के तौर पर नौ वर्षों तक जेल की कोठरी में पड़े रहने पर मजबूर सेना के इस प्रतिष्ठित अधिकारी के परिवार का क्या हुआ और उसे किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा? इस पुस्तक में इन सभी सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है और इस कोशिश में एक ऐसी साजिश का पता चलता है जिसे जानकर इंसान की रूह भी कांप जाए।
Copyright 2022 VitastaPublishing. All rights Reserved Designed by CrissCross Solutions LLP.